चलना चलते जाना राही,
चलना चलते जाना.
हो चाहे पत्थर की राहें,
या हो जल का दरिया,
हो चाहे जंगल से मारग,
या हो मरू का भरना,
मद्याहन है उम्मीदों का
शाम को ना तू थकना,
लक्ष तेरा उस चोटी पर है
तुजे वहीँ है जाना
साथ निभाया मैंने अब तक पर
हो सकता हूँ तनहा,
नाही मुज पे निर्भर है तू
नाही मुजको तकना
राही तुझको चलना ही है
ना कभी तू रुकना,
चलना चलते जाना राही,
आगे बढ़ते जाना.
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2 comments:
beta ab yeh bhi bata de kahan se chepa??
khud likha hai kamine.. racord breaking 1 gante se bhi kam samay me
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